सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला , राईट टू प्राइवेसी हैं मौलिक अधिकार

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Supreme Court's Big Decision, Right to Privacy, Fundamental Rights

काफी लम्बे समय से चल रहे केस राईट टू प्राइवेसी मामले में आखिरकार आज देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए हुए कहा की यह एक मौलिक अधिकार हैं | सुप्रीम कोर्ट ने 9 सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से इसे मौलिक अधिकार माना है। अदालत के इस फैसले के बाद आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड को सार्वजनिक नहीं हो सकता। इस फैसले के बाद अब किसी के आधार की जानकारी लीक नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि निजता की सीमा तय करना संभव हैं।

Supreme Court's Big Decision, Right to Privacy, Fundamental Rights

क्या होगे बदलाव

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार कोई कानून बनाती है तो उसमें पैन और आधार जैसी जानकारी को देना जरूरी नहीं किया जा सकेगा। गौरतलब है कि सरकार के लिए यह एक तरह से झटका है क्योंकि सरकार ने इससे पहले कोर्ट में ये दलील दी थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है ।इसके साथ ही रेल और हवाई जैसी यात्राओं में आधार पैन कार्ड की जानकारी देना जरूरी नहीं किया जा सकता। इस दौरान सभई 9 न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट के पहले 2 फैसलों का खंडन किया है कि गोपनीयता का अधिकार संविधान के अंतर्गत सुरक्षित नहीं है। बता दें कि साल 1954 और साल 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2 फैसलों में कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है।

इन जजों ने सुनाया फैसला

बता दें कि जिस संवैधानिक पीठ ने आज फैसला सुनाया उसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर के साथ जस्टिस जे चेलामेश्वर,जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन,जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।

जाहिर हैं की मामला काफी समय से कोर्ट में लंबित चल रहा था जिसका फैसला आजा आया हैं |

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