राजनीति में परिवारवाद को अहमियत न देकर पीएम मोदी ने उठाया अच्छा कदम.

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Modi by not giving priority to family politics took a good step

उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले हुई भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में विचार विमर्श होना तय था. उत्तर प्रदेश की राजनीति वंशवाद की भेंट चढ़ती दिख रही हैं. एक और पिता पुत्र और चाचाओं के आपसी दंद से गुजरती समाजवादी पार्टी दुसरी और परिवारवाद की नीति पर वर्षों से चल रही कांग्रेस. ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री मोदी का अपनी पटी के कार्यकताओं से ये कहना कि वो अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट न मांगे, भारतीय राजनीति में एक अच्छा वक्तव्य कहा जायेगा.

Modi by not giving priority to family politics took a good step

चुनावों से पहले हर पार्टी में टिकट के लिए घमासान होना तय ही रहता हैं. अपने प्रिय व निकटतम लोगों को चुनाव लड़ने का टिकट देने या दिलवाने का खेल बहुत वर्षों से चलता आ रहा हैं. सपा में चल रहे संघर्ष का एक कारण यह भी हैं कि सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश किसी और को टिकट देना चाहते हैं और सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल की पसंद कोई और हैं. इसी खींच तान के चलते हालत ये हो गयी हैं की सपा में अब राजनीति तो शेष बची नहीं है. हाँ परिवारवाद जरुर लोगों के बीच चर्चा का विषय बन रहा हैं.

कांग्रेस में भी सभी बड़े नेता चाहते हैं कि अब राहुल गाँधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाएँ. इतने सालों से राहुल गाँधी की एक राजनितिक नेता के रूप में ग्रूमिंग की जा रही थी. राहुल के असफल होने की स्थिति में कांग्रेस के अन्य नेता अपनी पार्टी के खेवनहार न बन कर प्रियंका गाँधी को प्रोमोट करते हैं.

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के परिवार के लोग अपने सादे जीवन को लेकर चर्चा का विषय बने हुए थे. अब अगर पी एम चाहते हैं कि उनकी पार्टी के लोग भी उन्ही के मार्ग पर चलें और पार्टी में किसी सदस्य को उसके काम के आधार पर टिकट मिलने न कि उसके परिवार के आधार पर तो इसमें बुराई भी नहीं हैं.

आपको याद दिला दें कि 31 दिसम्बर को भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में राजनितिक शुचिता लाने की बात कही थी. भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी पीएम मोदी ने इस बात को दोहराया कि जनता को ये मालूम होना चाहिये कि भाजपा को फण्ड कहाँ से मिलता हैं. इन सभी बैटन से लगता हैं कि पीएम मोदी भारतीय राजनीति को सुधार की दिशा में ले जाना चाहते हैं. जनता भी ये जानने के लिए उत्सुक है कि प्रधानमंत्री मोदी की ये बातें ठोस कदमों में कैसे तब्दील होंगी?

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