यूपी चुनाव में हर पार्टी अपनी सता जमानी चाहती हैं चाहे उसको अपना कदम बढ़ाना पड़े या वापिस खीचना पड़े | ताजा मामला हैं इलाहबाद के सोंराव विधानसभा क्षेत्र के जहाँ बीजेपी ने अपना दल के सामने अपने कदम वापिस खीच लिए | अपने प्रत्याशी का टिकट काटना भाजपा की मजबूरी थी और यह राजनीतिक दृष्टिकोण से जरूरी भी था। क्योंकि मौजूदा हालात में भाजपा सोरांव से खुद तो डूबती और गठबंधन प्रत्याशी जमुना सरोज को भी डुबो देती।
पड़ताल से ये बात सामने आई है कि यूपी के बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी को एक दिन पहले रात में ही चुनाव से पीछे हो जाने का निर्देश दिया था। साथ ही यह कहा कि जमुना प्रसाद सरोज से मिलकर वे अपना समझौता कर लें। पार्टी हाईकमान ने गौहनिया और वाराणसी की सीटों पर अपना दल प्रत्याशी के आने से अपनी कमजोर स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और विवाद की जड़ खत्म करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद ही केशव ने अपने नजदीकी सुरेन्द्र को पीछे हटने का निर्देश दिया ।

समझौते की जगह हुआ विवाद –
केशव मौर्य के निर्देशानुसार सुरेन्द्र चौधरी ने अद प्रत्याशी जमुना प्रसाद सरोज से समझौते के लिए पहल की और फोन से जमुना के बेटे शनि से संपर्क किया। भाजपा कार्यालय में वार्ता शुरू हुई तो सुरेन्द्र चौधरी द्वारा चुनाव में खर्च हुये पैसे की भरपाई कर समझौता करने का प्रस्ताव रखा गया। वहीं दोनों में बात तो बन गई लेकिन रकम को लेकर विवाद गहरा गया। सुरेन्द्र के समर्थक बड़ी रकम को लेकर दबाव बना रहे थे। पैसे की इसी मांग को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि मारपीट हो गई। शनि भाजपा कार्यालय से भागता हुआ अपना दल कार्यालय पहुंच गया और देखते ही देखते विवाद बवाल में बदल गया।
जाहिर हैं की जीत के लिए दोनों को साथ आना होगा क्योकि भाजपा और अपना दल के इस आपसी विवाद का फायदा सपा और बसपा उठा सकती हैं | बीजेपी में पहले ही बहुत ज्यादा आंतरिक कलह मची हुई हैं जिसे देखते हुए आखिर केशव प्रसाद मौर्य ने ये फैसला लिया |









