अपने ही लोगों ने मुश्किल की बीजेपी की चुनावी डगर

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bjp's own people creating problem in election

राजनितिक पार्टियों के लिए चुनावों का समय बहुत मुश्किल ले कर आता हैं. मतदातों के पास जाकर उनसे अपने लिए वोट मांगने से भी मुश्किल काम अपने ही नेताओं में टिकट बाटना होता हैं. सपा का सारा घमासान नेताओं को चुनाव में टिकट देने व न देने पर शुरू हुआ. क्यूंकि अखिलेश अपने पसंदीदा उम्मीदवारों लो टिकट देना चाहते थे और शिवपाल अपने. सपा का तूफ़ान शांत हुआ ही था कि अब बीजेपी में भी टिकट न मिलने पर नेताओं का बागी होना शुरू हो गया हैं.

एक तो चुनावों से पहले अन्य राजनितिक दलों को छोड़कर कुछ बड़े नाम बीजेपी में शामिल हुए. इससे उन बड़े नामों को टिकट आसानी से मिल गया और इसी चक्कर में जो नेता वर्षों से भाजपा में जमीनी स्तर  जुड़े हुए थे उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. यही कारण हैं कि बीजेपी के लोग सबसे ज्यादा दुखी बाहरी दलों से आने वाले नेताओं से हैं. लेकिन पार्टी की आलाकमान ये बात बखूबी समझती हैं कि दुसरे दलों से आये नेता अच्छा वोट बैंक साबित हो सकते हैं क्यूंकि उन्हें उनके पारम्परिक वोटर भी वोट देंगे.

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अब ऐसी ही एक जंग भाजपा को बिजनोर जिले की बढ़ापुर सीट पर देखने को मिल रही हैं. इस सीट से भाजपा के दो दिग्गज आमने-सामने हैं. अभी तक इस सीट से भाजपा नेता इन्द्रदेव लड़ते रहे हैं   लेकिन इस बार यहाँ से मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा सीट से सांसद सर्वेश कुमार के बेटे सुशांत को टिकट दिया है. इस पर नाराज़ होकर वरिष्ठ नेता इन्द्रदेव  ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. अब बीजेपी पसोपेश में हैं. क्यूंकि ऐसा होने पर  बीजेपी की वोट दो उम्मीदवारों में बाँट जायेंगी और फिर सुशांत व इन्द्रदेव  दोनों का हारना तय हैं.

ऐसा ही कुछ हरैया विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा हैं. यहाँ के बीजेपी  के एक कार्यकर्त्ता चंद्रमणि पाण्डेय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया हैं. इस फैसले के पीछे का कारण पूछे जाने पर पाण्डेयजी का कहना हैं कि बीजेपी दल बदलुओं को टिकट बाँट रही हैं जिससे पार्टी का इमानदार कार्यकर्त्ता दुखी हो रहा हैं.

अब बीजेपी के लिए चुनावों में मतदाताओं का दिल जीतने से ज्यादा मुश्किल अपने ही नेताओं को खुश रखना हो गया हैं.

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