विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा के बाद सपा में तेज हुई सुलह की कोशिशें.

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After the announcement of election dates reconciliation efforts in SP intensified.

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनावों की तारीख की घोषणा कर दी हैं. ऐसे में अब सभी पार्टियों का फोकस अधिक से अधिक सीट जितने की और रहेगा लेकिन सतारूढ़ सपा की कहानी अभी इस ट्रैक पर नहीं आ पा रही हैं. सत्ता के मोह में सपा के बड़े नेताओं और पिता, पुत्र व चाचा का रिश्ता सभी कुछ दांव पर लगा हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी में हुए इस पिता व पुत्र के मन मुटाव को ठीक करने का बीड़ा उठाया हैं सपा के पुराने नेता आज़म खान ने.

हालाँकि आज़म खान इशारों इशारों में यह बता चुकें हैं कि उन्हें अखिलेश का साथ ज्यादा प्यारा हैं लेकिन सपा के फाउंडर लीडर होने के नाते वो अपनी पार्टी में दो फाड़ होते नहीं देख सकते. इसलिए आज शाम को आज़म खान  एक बार फिर अंतिम बार अखिलेश-मुलायम के बीच सुलह कराने मुलायम के घर पहुंचे हैं. इस बैठक में शिवपाल सिंह भी मौजूद हैं.

आपको बता दें कि कल यानि मंगलवार के दिन भी पुत्र अखिलेश व पिता मुलायम सिंह यादव के बीच करीब तीन घंटे तक बातचीत हुई थी. लेकिन अखिलेश अब भी अपनी शर्तों पर कायम हैं, जिसके चलते कल सुलह की कोशिश के बाद भी रास्ता नहीं निकल पाया है.

ये हैं आज़म फार्मूला

सपा में सुलह के लिए आज़म खान ने कहा है कि वो विवाद खतम करने के लिए कुछ भी करेंगे. इसके लिए उन्होंने पिता व पुत्र के लिए एक माध्यम मार्ग भी खोज निकला हैं. जिसके अनुसार

  • अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपना नाम वापस लें और पहले की तरह मुलायम सिंह यादव को ही ये जिम्मेदारी सँभालने दें.
  • शिवपाल को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाएँ और उनकी सक्रियता केंद्र की राजनीति में बढ़ा दी जाएँ. इसके लिए शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया जाएँ
  • अखिलेश यादव के करीबी रामगोपाल व मुलायम के करीबी अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया जाएँ.
  • अखिलेश को फिर से पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी जाएँ और प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों का चयन भी अखिलेश के ऊपर छोड़ दिया जाएँ

अखिलेश खेमे के नेता रामगोपाल यादव का ब्यान पहले आ चूका हैं कि अब सुलह की कोई संभावना नहीं बची हैं. लेकिन सपा में अभी बैठकों का दौर जारी हैं. और सपा के भविष्य पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

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