मुलायम सिंह ने सपा अधिवेशन किया कैंसिल.

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Mulayam Singh canceled Samajwadi Party session

समाजवादी पार्टी के भविष्य के साथ साथ उसके वर्तमान के विषय में भी कुछ कहा नहीं जा सकता. सपा में सत्ता की उठा पटक इतनी तेजी से हुई कि कल तक पुत्र की और उठने वाली सहानभूति पिता की तरफ मुड़ गयी. रविवार को लखनऊ में हुए सपा के आपात सम्मलेन में अखिलेश यादव को राष्टीय सचिव बनाने की घोषणा की गयी. अखिलेश के इसी कदम से यह साफ़ हो गया था कि सपा में तख्ता पलट हो गया हैं. शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने को अखिलेश खेमे की जीत माना  जा रहा था. अब मुलायम सिंह की और से बड़ी खबर ये आ रही है कि उनके द्वारा बुलाया गया 5 जनवरी का सपा अधिवेशन अब स्थगित कर दिया गया हैं. शिवपाल यादव ने ट्वीट करके ये जानकारी दी.

Mulayam Singh canceled Samajwadi Party session

अब ये तो तय है कि अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को अपना बनाना चाहते हैं और नेताजी अपनी गद्दी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. यह देखना भी दिलचस्प होगा कि चुनावी मौसम में सपा यूपी के चुनाव की तैयारी करेगी या अपने घर के घमासान में जीतने की.

अब चुनाव चिन्ह पर होगी जंग

अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने के बाद उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष शिपाल भी हटा दिए गये. लेकिन मुलायम सिंह ने अपनी पार्टी के इस अधिवेशन को गैर संवेधानिक बताया हैं. यानि पिता और पुत्र अब साथ तो नहीं हैं.एक और मुलायम सिंह सपा को अपनी बनाई हुई पार्टी बता रहे हैं वहीँ दुसरी और अधिकांश MLA और कार्यकर्त्ता अखिलेश के साथ जाते दिख रहे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के चुनावी दंगल में मुलायम सिंह वाला धड़ा साइकिल चुनाव चिन्ह को अपना बता रहा हैं. वहीँ खुद को विकास पुरुष का दर्जा दे रहे अखिलेश सिंह साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपने उम्मीदवार उतारना चाह रहे हैं.

इस तरह की बातें राजनितिक गलियारों में चल रही हैं की साइकिल को अपना चुनाव चिन्ह बनाने के लिए अखिलेश खेमे से रामगोपाल यादव चुनाव आयोग में जा सकते हैं. मुलायम सिंह के पक्ष के लोग भी आसानी से अपने चुवान चिन्ह को नहीं छोड़ेंगे. मुलायम का पक्ष को चुनाव आयोग में रखने के लिए अम्बिका सिंह को चुना जा सकता हैं.

सत्ता के खेल में तो अखिलेश मुलायम सिंह से बाजी मार गये, अब साइकिल किस के पक्ष में मुडती हैं ये देखना अभी बाकी हैं.

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