इस शख्स की वजह से 23 साल पुरानी दुश्मनी भूल एक साथ आये अखिलेश और मायावती

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Akhilesh and Mayawati, who came together to forget 23-year-old antagonism because of this man

यूपी के उपचुनावों में सपा-बसपा गठबंधन को मिली भारी जीत के बाद हर कोई ये हैरान है की आखिर एक दूसरे के ऊपर तीखे हमले करने वाले अखिलेश और मायावती कैसे एक दूसरे के साथ आ गए |

इस शख्स ने मिलवाया – बुधवार को जब गोरखपुर और फूलपुर के चुनावी नतीजों का ऐलान हुआ तो शाम को बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव के लिए मर्सडीज गाड़ी भिजवाई और सपा अध्यक्ष खुद उनसे मिलने मायावती के घर पहुंचे। दोनों के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। इस मुलाकात को कराने में जिस शख्स ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई, उसका नाम है संजय सेठ। मायावती और अखिलेश की मुलाकात के दौरान संजय सेठ भी मौजूद थे।

कौन हैं संजय सेठ?

कौन है संजय सेठ – संजय सेठ सपा में कोषाध्यक्ष पद पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। संजय राज्यसभा के सांसद भी हैं। सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में शुमार संजय सेठ पेशे से बिल्डर हैं। मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव के साथ वो शालीमार कॉर्प नामक रियल स्टेट कंपनी में पार्टनर हैं। लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती, इटावा में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का बंगला इन्होंने ही बनवाया है।

मायावती से भी अच्छे रिश्ते –

मुलायम सिंह यादव और अखिलेश के अलावा संजय सेठ के मायावती से भी अच्छे संबंध हैं। बुधवार को जब सपा-बसपा की जोड़ी ने कमाल दिखाया तो संजय सेठ ने ही अखिलेश यादव और मायावती की मुलाकात की आधारशिला रखी। अखिलेश यादव जब सरकारी आवास ’13 ए माल एवेन्यू’ पहुंचे तो खुद मायावती ने गुलदस्ता देकर सपा अध्यक्ष का स्वागत किया। सियासी जानकारों की मानें तो अखिलेश-मायावती की यह मुलाकात अगले लोकसभा चुनाव के लिए काफी अहम साबित होगी।

Akhilesh and Mayawati, who came together to forget 23-year-old antagonism because of this man

छोटी मोटी दलाली से बने बिल्डर –

सूत्रों के मुताबिक ये वही संजय सेठ है, जो कभी LDA में प्रापर्टी की दलाली का काम किया करते थे | लेकिन उनका भाग्य उस समय जागा जब केंद्र में और उत्तर प्रदेश में बीजेपी का शासन चल रहा था | बताया जाता है कि लखनऊ में सूबे के नगर विकास मंत्री लालजी टंडन का दामन सेठ ने एक बड़े IAS अफसर के जरिये थामा | उसके बाद उसे मिनी सुब्रतो राय बनने में देर नहीं लगी | दरअसल ये वही दौर था जब नगर विकास मंत्री लालजी टंडन के एक फोन पर LDA उपाध्यक्ष किसी को भी जमीन आवंटित कर दिया करते थे | इतना ही नहीं चूँकि लखनऊ प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का संसदीय क्षेत्र था | इसलिए अटलजी के दौर में लखनऊ के विकास के लिए अंधाधुंध पैसा केंद्र से भेजा जा रहा था |

करवा सकते है महागठबंधन –

जाहिर है की जिस तरह संजय सेठ इन दोनों दुश्मनों को करीब लेकर ए है उसी तर्ज पर ये दोनों को आगामी लोकसभा चुनावों में भी साथ ला सकते है |

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