कर्णाटक चुनाव परिणाम से देश को मिलेगे इन सवालों के जवाब

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Answers to these questions will be received from the Karnataka election results

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए जोर-शोर से चल रहा प्रचार गुरुवार को खत्‍म हो गया। अब 12 मई शनिवार को वोट डाले जाएंगे और 15 मई को चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव से जिन राज्‍यों में चुनाव होने हैं, उनमें कर्नाटक इकलौता ऐसा राज्‍य है, जहां पर कांग्रेस की सत्‍ता है। ऐसे में इस चुनाव जीत और हार के अपने अलग मायने हैं। यही वजह है कि कर्नाटक चुनाव परिणामों के साथ निकलकर आने वाले संकेतों पर सबकी नजरें लगी हैं। आइए डालते हैं कर्नाटक चुनाव के संकेत और संदेशों पर एक नजर:

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ग्लोबल इन्वेस्टर्स का मूड-

ग्‍लोबल रिसर्च फर्म यूबीएस ने अपने ताजा सर्वे में दावा किया है कि भारत में निवेश करने वाले ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स को 2019 में नरेंद्र मोदी की सत्‍ता की वापसी की उम्‍मीद है। सर्वे में दावा किया गया है कि भारत में निवेश करने वाले ज्‍यादातर इन्‍वेस्‍टर्स ने निवेश का फैसला लेने से पहले इस उम्‍मीद को दिमाग में रखा था कि मोदी सरकार की सत्‍ता में वापसी होगी। अब अगले आम चुनाव में ज्‍यादा वक्‍त नहीं रह गया है। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स की पैनी नजर बनी हुई है। वे जानना चाहते हैं कि भारत में पॉलिटिकली लोगों का मूड आखिर क्‍या है?

कब होगे आम चुनाव-

लोकसभा चुनाव समय पर होंगे या समय से पूर्व? इस बात को लेकर कयासबाजी जमकर हो रही है। 2019 से पहले जिन राज्‍यों में चुनाव होने हैं, उनमें कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान शामिल हैं। कर्नाटक में चुनाव हो ही रहे हैं, जबकि बाकी तीन राज्‍यों में साल के अंत तक चुनाव कराए जाने हैं।

कांग्रेस मुक्त भारत-

2014 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने एक के बाद एक कई राज्‍यों में कांग्रेस को मात दी। अमित शाह ने बड़े जोर-शोर से कांग्रेस मुक्‍त भारत का नारा दिया। इस काम में मोदी-शाह की जोड़ी को काफी हद तक सफलता भी मिली। अगले लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक कांग्रेस की सत्‍ता वाला इकलौता ऐसा राज्‍य बचा है, जहां चुनाव होने हैं। अगर यहां बीजेपी जीती तो आम चुनाव से पहले उसका लिए बड़ा बूस्‍टर होगा। अगर हारी तो निश्चित रूप से ब्रैंड मोदी को बड़ा झटका लगेगा।

 कांग्रेस मुक्‍त भारत अभियान का अंत आखिर कैसे होगा?

राहुल गाँधी की साख-

गुजरात चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस ने राहुल गांधी की ताजपोशी की। गुजरात में भले ही कांग्रेस हार गई, लेकिन उसने फाइट अच्‍छी लड़ी। हिमाचल प्रदेश में जरूर कांग्रेस को करारा झटका लगा, लेकिन गुजरात में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन से राहुल गांधी की छवि को काफी फायदा हुआ। अध्‍यक्ष बनने के बाद उनके तेज तर्रार बयान और एंग्री यंग मैन की छवि कुछ नएपन का एहसास करा रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक चुनाव उनके लिए गोल्‍डन चांस है। गुजरात की तरह कर्नाटक कोई हिंदुत्‍व की लैबोरेट्री भी नहीं है। सत्‍ता में कांग्रेस खुद विराजमान है।

 राहुल गांधी की साख पर पड़ेगा बड़ा असर

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