एक देश एक चुनाव के लिए बीजेपी के साथ आई कांग्रेस, पीएम मोदी को सौंपी रिपोर्ट

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congress agrees for simultaneous elections

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार एक देश एक चुनाव की वकालत लंबे समय से करते आ रहे हैं। पीएम मोदी के इस सुझाव का तमाम विशेषज्ञों और जानकारों ने समर्थन किया है। देशभर में अलग-अलग राज्यों का चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराने को लेकर पीएम मोदी ने कई बार बयान दिया, उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने की वजह से देश को काफी नुकसान होता है और विकास की रफ्तार भी कम होती है।

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ये तरीका सुझाया –

भाजपा ने 36 पेज की एक रिपोर्ट पीएम मोदी के इस सुझाव का समर्थन करते हुए पेश की है। यह रिपोर्ट 23 मार्च को पेश की गई है। इस रिपोर्ट में नीति आयोग के पेपर का भी हवाला दिया गया है, जिसमे कहा गया है कि दो चरण में चुनाव होने चाहिए। 2019 में लोकसभा के साथ तकरीबन आधी विधानसभाओं का चुनाव एक साथ हो सकता है। , जबकि बाकी विधानसभाओं का चुनाव 2022 में हो सकता है।

यह रिपोर्ट दो दिन के मंथन के बाद सामने आई है, जोकि इस वर्ष जनवरी माह में हुई थी। यह मंथन मुंबई स्थित थाणे में स्थित रामभाऊ मल्घी प्रबोधिनी जोकि राइट विंग रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है, में आयोजित की गई थी। यह कार्यक्रम इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के साथ साझा प्रोग्राम के तहत आयोजित किया गया था। इस दौरान पांच अहम मुद्दों पर बात की गई, जिसमे मुख्य रूप से अलग-अलग जगहों पर होने वाले चुनाव, अविश्वास प्रस्ताव, सभा को भंग करने, स्थानीय निकाय चुनाव आदि शामिल थे।

कांगेस भी शामिल –

इस कार्यक्रम के बाद इसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपी गई है। इस कमेटी की अध्यक्षता डॉक्टर ईएम सुदर्शन नचिप्पन ने की थी, जोकि तमिलनाडु से कांग्रेस के सांसद हैं। उनका मानना है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से बड़ी स्तर पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है, आचार संहिता की वजह से जो नीतियों में रुकावट आती है उसपर भी रोक लगेगी। साथ ही चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारियों के समय को भी बचाया जा सकता है।

इस कार्यक्रम के दौरान नीति आयोग ने भी अपना सुझाव सामने रखा है, जिसमे कहा गया है कि 1951 से 1967 तक तकरीबन हर जगह एक साथ चुनाव हुए थे। लेकिन बाद में समय के साथ इसमे बदलाव आता गया और लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव के समय में अंतर बढ़ता गया, जिसकी वजह से देश की राजनीतिक माहौल में काफी बदलाव आया।

कई नेताओं ने दी राय –

इस दौरान कई दिग्गज नेताओं ने अपना मत इस कमेटी में रखा। जनता दल के केसी त्यागी का कहना है कि मैं इसे भाजपा के कार्यक्रम के तौर पर नहीं देखता हूं, यह राष्ट्रीय चुनाव में सुधार की प्रक्रिया है। वहीं सांसद जे पांडा का कहना है कि यूएस में भी अगर सरकार बहुमत खोती है तो लोग बदलते हैं नाकि सरकार। अगर हम भी दिसंबर तक यह कर लें तो सभी राज्यों के चुनाव एक साथ 2019 में हो सकते हैं।

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