टिकटों के बंटवारे को लेकर सपा में फिर ठनी. अखिलेश के समर्थक हुये नज़रंदाज़.

0
838

उत्तर प्रदेश चुनावों से बिल्कुल पहले सपा के भीतर की लडाई इस तरह से आम हो जायेगी, ऐसा शायद नेता जी ने सोचा भी नहीं होगा. राजनितिक गलियारों में सपा की कलह बढ़ने की चर्चा उसी दिन से चल रही थी जब से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा मुखिया को अपने पसंदीदा उम्मीदवारों की लिस्ट सौंपी थी.

कल शाम से ही सपाईयों में हलचल तेज होती दिख रही थी. फिर सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने सपा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी. 325 उम्मीदवारों की लिस्ट में शिवपाल खेमें के लोगों की भरमार देखकर अखिलेश खेमें के लोगों में काफी नाराजगी हैं.  सीएम अखिलेश ने टिकट ना पाने वाले विधायकों, मंत्रियों की गुरुवार को बैठक भी बुलाई है.

fued erupts due to ticket distribution in SP

किसको मिली कौन सी सीट

मुख्यमंत्री को चुनोती देने वाले अतीक अहमद को सपा का टिकट मिलना तय हैं. सीतापुर के विधायक  रामपाल यादव को गुंडागर्दी के आरोप में अखिलेश यादव ने पार्टी से निकल दिया था लेकिन शिवपाल का करीबी होने के कारण रामपाल को भी टिकट मिल गया.

अरविंद गोप, पवन पांडे, अभिषेक मिश्र, रामगोविंद चौधरी ये अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं. इन सभी का नाम समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट से गायब हैं. हालाँकि अखिलेश ने कल कहा था कि वो फिर से विचार के लिए मुलायम सिंह यादव से बात करेंगे.

चाचा भतीजे के विवाद में कौन भारी

सपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की लिस्ट को देखते हुए तो ये लगता हैं कि चाचा शिवपाल अखिलेश पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन सपा के लोकसभा व राज्यसभा के अधिकांश सांसद अखिलेश के खेमे हैं. अखिलेश समर्थक चाहते है कि अखिलेश अपने पसंद के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारें. अखिलेश यादव ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के कुछ देर बाद ही चाचा शिवपाल के दो करीबीयों को आवास विकास परिषद की उपाध्यक्ष सुरभि शुक्ला व उनके पति डॉक्टर संदीप शुक्ला को बर्खास्त कर दिया.

क्यूँ मिली अखिलेश को मात

अखिलेश सपा में अपनी वर्चस्व को नही दिखा पायें, ये इन कुछ बातों से साफ़ होता हैं. पहला मुख्यमंत्री के विरोध के बाद भी बाहुबली अतीक अहमद को टिकट मिलना. अखिलेश यादव के कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाओं को स्वीकार करने के बाद मुलायम सिंह का ऐसी सम्भावना को सिरे से खारिज करना. मुख्यमंत्री द्वारा सुझाये गये नामों का सपा की लिस्ट में न होना और सबसे बड़ी बात सपा का मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा न करना. ये सभी बाते इस और इशारा करती हैं कि सपा में शिवपाल का कद अखिलेश यादव से बड़ा हैं.

Previous articleदर्द से निजात पाने का तरीका
Next articleटिकट की जंग में जीते चाचा मुलायम ने दिया शिवपाल का साथ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here