कारगिल वार: कैसे एक सिक्के ने बचाई इस वीर जवान की जान, सुनिए उनकी जुबानी

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Kargil war: how a coin saved the life of this brave young man

नई दिल्ली: हमारे देश के सैनिको ने ऐसी कई सारी लड़ाइयाँ लड़ी ही जो हमेशा हमेशा के लिए इतिहास के पन्नो में दर्ज है| उनकी कहानियां आज भी चीख-चीखकर उनके शौर्य की गाथा बताती है| ऐसे ही एक लड़ाई लड़ी गई कारगिल की जिसे आज भी देश की जनता याद करती है| कारगिल जीते हुए इतने वर्ष बीत गए लेकिन उन सैनिको के जेहन में आज भी कारगिल की याद जिन्दा है जिन्होंने ये लड़ाई लड़ी और कहते है की मानो कल की बात हो| ऐसे ही एक कहानी है सूबेदार योगेन्द्र सिंह की जिनकी जान इसलिए बच गई की उनकी जेब में सिक्के थे|

Kargil war: how a coin saved the life of this brave young man

क्या बताते है योगेन्द्र– शादी के 15 दिन बाद इन्हें हेडक्वाटर बुलाया गया क्योकि पांच मई को योगेन्द्र किस शादी थी| योगेन्द्र कहते है की मेरी बटालियन को दराज सेक्टर के तोलोलिंग पहाड़ी फतह करने का टास्क मिला| तोलोलिंग पहाड़ी पाकिस्तानी फौज के कब्जे में थी| मेरी पलटन के जांबाज फौजियों ने 22 दिन की लंबी लड़ाई के बाद तोलोलिंग पहाड़ी पर कारगिल युद्ध की पहली विजय के साथ तिरंगा फहरा दिया|  तोलोलिंग के बाद पलटन का अगला टास्क टाइगर हिल टॉप था| टाइगर हिल टॉप पूरी तरह पाकिस्तानी फौज के कब्जे में था| वहां पहुंचना आसान नहीं था| जुनून और जज्बे के साथ मेरी पलटन ने दुश्मनों की तरफ कदम बढ़ाते हुए चढ़ाई शुरू कर दी| पाकिस्तानी फौज पहाड़ी की चोटी पर थी| उसके लिए टारगेट बहुत आसान था| मैने और मेरी पलटन के जवानों ने रास्ता साफ  करने के लिए पांच पाकिस्तानी जवानों को ढेर कर दिया| पाकिस्तानी फौज ने ताबड़तोड़ गोलीबारी कर हिंदुस्तानी फौज का रास्ता रोक दिया| पाकिस्तानी फौज की गोलीबारी से बचते हुए मैं अपने सात जांबाज जवानों के साथ टाइगर हिल टॉप पहुंचा| दोनों तरफ  से गोलीबारी हुई| हमारे पास बारूद कम था तब कुछ समझ नहीं आ रहा था और जुनून सिर्फ  टाइगर हिल टॉप पर तिरंगा फहराने का था| पाकिस्तानी फौज की आंखों में धूल झोंकने के लिए हमने प्लान के तहत गोलीबारी बंद कर दी| इससे पाक फौज गलतफहमी का शिकार हो गई और उन्हें लगा कि गोलीबारी में हिंदुस्तानी फौजी मर गए| रणनीति के तहत अचानक पाकिस्तानी फौज पर हमला बोल दिया और कई पाकिस्तानी मारे गए| कुछ पाकिस्तानी फौजी भाग निकले और हमने टाइगर हिल टॉप पर कब्जा कर लिया| जीत का जश्न मना पाते 35 मिनट के बाद पाक की तरफ  से दोबारा हमला हो गया| पाक फौजियों की संख्या काफी अधिक थी| आमने-सामने की लड़ाई में मेरे सभी साथी मारे गए| मैं भी बुरी तरह जख्मी हो गया| हाथों और पैरों में कई गोलियां लगी थी| लहूलुहान जमीन पर गिरा था| पाक फौजियों ने शहीद हिंदुस्तानी फौजियों के साथ क्रूरता की|  फिर उन्होंने जाते जाते मेरे पैर और हाथ में गोली मारी और एक गोली मेरे सीने में मारी लेकिन जेब में सिक्के थे जिस वजह से मैं बच गया| फिर कैसे भी करके मैं आर्मी कैम्प पंहुचा और वहां कहानी बताई| ये कहानी है परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेन्द्र सिंह की|

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